Friday, January 8, 2021

28 नरक लोको का वर्णन

श्रील सुखदेव गोस्वामी 28 नरक लोको का वर्णन करते हैं जो इस प्रकार है

1.  तामिस्र नरक
जो किसी अन्य पुरुष की वैध पत्नी बच्चों तथा धन का दुरुपयोग करता है उसे सर्वाधिक अंधेरे नरक तामिस्र में डाला जाता है वहां उसे भूखा प्यासा रखा जाता है और यमदूतों की प्रताड़ना तथा पिटाई के कारण वह बीच-बीच में अचेत होता रहता है।


2. अंधतामिस्र नरक
जो व्यक्ति कपटतापूर्वक से किसी दूसरे पुरुष को धोखा देता है और फिर उसकी पत्नी एवं बच्चों का भोग करता है उसे अंधतामिस्र नामक नरक में भेजा जाता है वहां तक पहुंचने से पहले ही उस पापी को इतनी अधिक यातनाएं दी जाती हैं कि उसकी बुद्धि और दृष्टि दोनों ही नष्ट हो जाती हैं अंधकार के कारण इस नरक का नाम अंधतामिस्र रखा गया है।

3. रोरव नरक
जो व्यक्ति दिन रात श्रम करता है और अपने शरीर तथा अपने परिजनों के शरीर को पालने के लिए अकारण ही दूसरों पर हिंसा करता है उसे रोरव नामक नरक में फेंका जाता है। वहां उसे वह सब लोग मिलते हैं जिसको उसने कष्ट दिया था। वे सब लोग रूरू नामक पशु का रूप लेकर उससे प्रतिशोध लेते हैं रूरू नामक यह प्राणी सांप से भी अधिक खतरनाक होते हैं और उनके द्वारा दी गई यातना अत्यंत तीव्र तथा दुसहनिय होती है।


4. महारोरव नर्क
दूसरों को कष्ट देकर अपना जीवन यापन करने वाले लोगों को महारोरव नर्क में जाना पड़ता है। जहां क्रव्याद नामक रूरू पशु उसे भयंकर यातनाएं देते हुए नोच नोच कर उसका मांस खाते हैं।

5. कुंभीपाकम नरक
अपनी जीभ को संतुष्ट करने के लिए जो क्रूर व्यक्ति अन्य निरीह पशुओं एवं पक्षियों को पकाते हैं उन्हें यमदूत कुंभीपाकम नामक नरक में ले जाते हैं जहां उन्हें उबलते तेल में पकाया जाता है।

6. काल सूत्र नरक
ब्राह्मण की हत्या करने वालों को काल सूत्र नामक नरक में डाला जाता है इस नरक की भूमि ठोस तांबे की बनी होती है और उसकी त्रिज्या 10000 योजन है नीचे से अग्नि तथा ऊपर से आग उगलते सूर्य द्वारा इसकी तांबे की सतह अत्यंत गर्म हो जाती है ब्राह्मण की हत्या करने वाला हत्यारा अंदर से भूख तथा प्यास से जलता है उस तपती भूमि पर चलते हुए वह कई बार लेटता है कई बार बैठता है कई बार खड़ा हो जाता है और कई बार इधर उधर दौड़ता है इस प्रकार उसे उतने हजार वर्ष निकालने पड़ते हैं जितने किसी पशु के शरीर पर बाल होते हैं।


7. असिपत्रवन नरक
आपातकालीन स्थिति ना होते हुए भी जो व्यक्ति वैदिक पथ का त्याग करता है उसे असिपत्रवन नामक नरक में डाला जाता है यहां यमदूत उसे कोड़े से पीटते हैं और जब वह उनसे बचने के लिए आसपास खड़े ताल वृक्षों के पास जाता है तो उसका शरीर उनकी तलवार जैसी नुकीली पतियों द्वारा छलनी हो जाता है प्रत्येक पद पर मूर्छित होते हुए वह पापी चिखता रहता है अरे मैं क्या करूं, मैं कैसे यहां से बचू।

8. शुकरमुख नरक
निष्पाप व्यक्ति को दंड देने वाले अथवा किसी ब्राह्मण को शारीरिक प्रताड़ना देने वाले पापी राजा अथवा राज अधिकारी को शुकरमुख नामक नरक में ले जाया जाता है। वहां उसे एक यंत्र में डालकर उसी प्रकार पीसा जाता है जिस प्रकार गन्ने का रस निकालने के लिए गन्ने को पीसा जाता है इस प्रकार यातना दिए जाने पर वह उन्हीं निष्पाप लोगों के समान अत्यंत दयनीय रूप से रोता और मूर्छित होता है। जिसे उसने अकारण कष्ट दिया था। 

9. अंधकूप नरक
मच्छर जैसे निकृष्ट प्राणियों मनुष्य का खून चूसते हैं, किंतु उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं होता कि उनके काटने से मनुष्यों को कष्ट हो रहा है परंतु मनुष्य की चेतना अधिक विकसित होती है वह दूसरों को दिए जा रहे कष्टों का स्वयं अनुभव कर सकते हैं इसलिए ऐसी उच्च चेतना प्राप्त करने के पश्चात भी जो मनुष्य निस्सहाय पशुओं अथवा प्राणियों की हत्या करता है उसे अंधकूप नामक नरक में दंड दिया जाता है वहां उस पर वह सब पक्षी पशु सरीसृप मच्छर मक्खी और कीड़े आक्रमण करते हैं जिन्हें उसने जीवन भर यातना दी थी और इस प्रकार उसे कभी नींद नहीं आती आराम नहीं कर पाने के कारण वह दिशाहीन अंधकार में इधर-उधर भटकता हुआ दुख भोगता है।

10. क्रमीभोज नरक
यदि कोई व्यक्ति प्राप्त भोजन को पहले अतिथियों वृद्धों तथा बच्चों को ना देकर स्वयं खाता है तो उसका जीवन किसी को वे से अधिक श्रेष्ठ नहीं है ऐसे मनुष्य जो पंछी को खाना दिए बिना तथा यज्ञ किए बिना खाते हैं उन्हें क्रमीभोज नामक अत्यंत दारुण नर्क में यातनाएं दी जाती हैं। इस नरक में एक लाख योजन जोड़ी एक झील है और वह विभिन्न प्रकार के कीड़ों से भरी है पापी जीव को इस झील में 100000 वर्षों तक कीड़ा बन कर रहना पड़ता है और वह अन्य कीड़ों को खाकर उसी प्रकार जीवित रहता है जिस प्रकार अन्य कीड़े उसे खाकर जीवित रहते हैं।

11. संदेश नरक
जो व्यक्ति आपातकालीन स्थिति ना होते हुए किसी दूसरे व्यक्ति के रत्नों अथवा सोने को चुराता है और विशेष रूप से किसी ब्राह्मण के उसे संदेश नामक नरक में भेजा जाता है वहां लोहे के लाल देखते पडो तथा चिंटू द्वारा उसकी चमड़ी को उधर आ जाता है जिससे उसका पूरा शरीर कट कट कर टुकड़े-टुकड़े हो जाता है

12. तपतमी नरक
अयोग्य स्त्री अथवा पुरुष के साथ व्यभिचार करने वाले व्यक्ति को यमदूत तपतमी नामक नरक में डालते हैं। वहां ऐसे पुरुषों तथा स्त्रियों को कोणों से पीटा जाता है और उन्हें गर्म धड़कते लोहे के स्त्री पुरुषों का आलिंगन करने के लिए बाध्य किया जाता है।

13. वज्रकंटक शाल्मली नरक
जो व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के मनुष्य अथवा पशुओं के साथ मैथुन करता है उसे वज्रकंटक शाल्मली नामक नरक में यातनाएं दी जाती हैं इस नरक का नाम वहां पाए जाने वाले शाल्मली वृक्ष के नाम पर पड़ा है रेशमी रुई के इस वृक्ष के तने पर उगे कांटे वज्र के समान कठोर होते हैं यमदूत पापी व्यक्ति को इस वृक्ष के शिखर पर लटका कर तेजी से नीचे की ओर खींचते हैं जिससे उसका शरीर बुरी तरह कट फट जाता है।

14. वैतरणी नदी
जो व्यक्ति एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्म लेने के बाद भी अपने धर्म एवं कर्तव्यों का शास्त्रोक्त रीति से निर्वाह नहीं करता उस पतित जीव को नर्क में वैतरणी नामक नदी में फेंक दिया जाता है जिस प्रकार किसी किले के चारों और खाई बनी होती है उसी प्रकार वैतरणी नदी नर्क के चारों ओर बहती है यह नदी मल, मूत्र, मवाद, रक्त, अस्थि, मांस, चर्बी और मजजा से भरी होती है। इनके साथ ही इसमें ऐसे जलचर होते हैं जो उस पापी के शरीर को खाते रहते हैं।

15. पुयोद नरक
निम्न जाति की शुद्र स्त्रियां के ऐसे पति जो सब व्यवहार से विहीन पशुओं के समान रहते हैं और जीवन में किसी नियम का पालन नहीं करते हुए सदैव स्वस्थ रहते हैं उन्हें पुयोद  नामक नरक में डाला जाता है। वहां उन्हें मवाद मल मूत्र के सागर में डुबोकर इस घृणित वस्तुओं को खाने के लिए बाध्य किया जाता है।

16. प्राणरोध नरक
तीन उच्च वर्णों के ऐसे लोग जो अपने पालतू कुत्तों को जंगल में ले जाकर अकारण पशुओं का शिकार करते हैं उन्हें प्राणरोध नामक नरक में पटका जाता है यहां यमदूत उनका उपयोग निशाने के रूप में करते हैं और अपने तीखे बाणों से उसके शरीर को छलनी करते रहते हैं

17. विशसन नरक
जो लोग अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए पशुओं की बलि देता है उसे विशसन नामक नरक में ले जाया जाता है यहां यमदूत कई प्रकार की यातनाएं देने के बाद उसका वध कर देते हैं।